और हम झुके-झुके, मोड़ पर रुके-रुके उम्र के चढ़ाव का उतार देखते रहे कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे। महाकवि नीरज जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि! Jul 19, 2018 15132